Steno Helpline

स्टेनो हेल्पलाइन एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहाँ स्टेनोग्राफी से जुड़े प्रश्नों का समाधान और उपयोगी अध्ययन सामग्री मिलती है।

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दुनिया के सबसे अधिक सामाजिक विषमता वाले देशों में भारत का स्थान प्रमुख है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में छब्बीस करोड़ से अधिक लोग विभिन्न कारणों से सामाजिक विषताओं के शिकार हैं। इसके पीछे जातीय भेदभाव, छुआछूत और ऊंच-नीच की भावना प्रमुख है। भारत में जन्मगत जाति के आधार पर भेदभाव की प्रथा पुरानी है। उससे आज भी भारतीय समाज मुक्त नहीं हो पाया है। जातीय भेदभाव, ऊंच-नीच और छुआछूत को खत्म करने के लिए शताब्दियों से सामाजिक आंदोलन और जागरण के कार्य भी किए जाते रहे हैं, लेकिन विषमताओं की जड़ें इतनी गहरी हैं कि तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी भारतीय समाज इस कलंक से मुक्त नहीं हो पाया है।

सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए पत्रकारिता के जरिए भी अनेक ठोस प्रयास किए जाते रहे हैं। अनेक हिंदी पत्र-पत्रिकाओं ने सामाजिक विषमता के खिलाफ लंबी लड़ाइयां लड़ीं। ग्रामीण क्षेत्रों से निकलने वाली पत्र-पत्रिकाओं में भी सामाजिक विषमता के खिलाफ लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाते रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए किए गए प्रयास भी महत्व रखते हैं। कानून में सामाजिक विषमता के खिलाफ अनेक प्रावधान किए गए हैं, जिनमें जाति, वर्ग, संप्रदाय या धर्म के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव करना अपराध के दायरे में रखा गया है। अनेक स्वयंसेवी संगठन भी इसके खिलाफ काम करते रहे हैं, लेकिन इनका कोई खास असर दिखाई नहीं पड़ता है।

समाज में जातीय भेदभाव के कारण आज भी भाईचारे की वह भावना नहीं पनप पाई है, जिसकी बातें मंचों से बहुत जोरशोर से की जाती रही हैं। आज भी भारत के गांवों में दलितों और पिछड़ी जातियों के साथ कथित उच्च जातियों के लोग मानवीय व्यवहार नहीं करते। समाज के आर्थिक रूप से संपन्न जातियों के लोगों द्वारा खोदी गई विषमता की खाई अभी देखने में तो कम होती जान पड़ती है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। समाज के दबंग लोगों को कानून की कोई परवाह न होने के कारण पीड़ित द्वारा पुलिस में की गई शिकायत पर कार्रवाई भी दबंगों के मन मुताबिक होती रही है। आजादी के बाद हजारों ऐसी घटनाएं इसकी गवाह हैं जब पुलिस ने पीड़ित की मदद के बजाय दबंग की मदद की। सैकड़ों मामलों में पीड़ित दलित को शिकायत करने पर पुलिसिया जुल्म का शिकार होना पड़ा। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब पुलिस में शिकायत के बाद दबंगों ने पीड़ितों के परिवार को ही मौत के घाट उतार दिया और पुलिस ने उसे आत्महत्या बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया।

कुछ राज्यों में तो जाति व्यवस्था के मुताबिक पुलिस लाइनों और थानों में उच्च कही जाने वाली जातियों, पिछड़ों, दलितों और महादलितों के लिए अलग-अलग भोजन की व्यवस्था समाचार पत्रों की सुर्खियों में रही हैं। बिहार में अनेक वर्षों तक लाल सेना, रणवीर सेना और अन्य जातीय सेनाओं के दबंग जाति के आधार पर हिंसक वारदात करते रहे हैं और वहां की तत्कालीन सरकार मूकदर्शक बनी रही। इसलिए कि इससे उसका वोट बैंक खिसकने का डर था। तब से लेकर अब तक स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों और पत्रिकाओं में इस जातीय विषमता के खिलाफ आवाज बुलंद की गई, लेकिन सरकार पर इसका कोई विशेष असर नहीं हुआ।

जाति व्यवस्था के कारण ही भारत की नब्बे प्रतिशत सामाजिक विषमताएं, समस्याएं और विसंगतियां पैदा हुई हैं। इस सच्चाई को केंद्र और राज्य सरकारें जानती हैं। इसके बावजूद जाति-पांति को जिंदा रखने के लिए नौकरियों और लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में जाति का विवरण भरना अनिवार्य बनाया गया है। जब तक जन्मगत ऊंच-नीच और भेदभाव की दीवारें कायम रहेंगी, तब तक विषमता की बेल को खाद-पानी मिलता रहेगा और समाज में बड़े स्तर पर सद्गुण, मानवीय मूल्य, सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक मूल्यों की स्थापना नहीं हो सकती है। विषमता के कारण समाज का कमजोर तबका राजनेताओं और समाज सेवकों की दोहरी नीति का भी शिकार होता रहा है।

सवाल है कि सामाजिक विषमता का दंश केवल दलित और पिछड़ी जातियां क्यों झेलती हैं, अन्य जातियां इसका शिकार क्यों नहीं होतीं? इस सवाल का जवाब सर्वोच्च न्यायालय की वह टिप्पणी है, जो उसने हरियाणा के मिर्चपुर कांड के मामले में की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि इन लोगों का कसूर मात्र यह है कि ये गरीब और दलित हैं। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने कभी कहा था- शिक्षित बनो, संघर्ष करो और आगे बढ़ो। लेकिन सवाल यह है कि शिक्षित दलित पुरुष या महिलाओं का उत्पीड़न नहीं हो रहा है क्या? केवल शिक्षित बनने या संघर्ष करने से बात बनती नहीं दिख रही है।

भारत का सामाजिक ढांचा ही विषमता का कारण है। जन्म के आधार पर ही यहां मान लिया जाता है कि ऊंची जाति का व्यक्ति अच्छा है और नीची जाति का व्यक्ति उपेक्षणीय है। इस जन्मगत जाति-व्यवस्था को खत्म करने के लिए जितने भी आंदोलन चलाए गए, उन्हें सफलता तो मिली, लेकिन हमेशा के लिए इस बुराई को खत्म नहीं किया जा सका है। अनेक महापुरुषों ने जन्मगत सामाजिक विषमता के लिए अत्यंत कठिन समय में भी तमाम कष्टों को सहकर खुद को सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया था। आज से लगभग डेढ़ शताब्दी पहले सामाजिक विषमता के विरुद्ध जो आवाजें उठाई गई थीं, उसके फलस्वरूप तत्कालीन ब्रिटिश शासन ने इसको दूर करने के लिए कुछ कानून बनाए, लेकिन सामाजिक विषमता के कलंक को दूर नहीं किया जा सका।

आजादी के बाद भारतीय संविधान में अस्पृश्यता, विषमता, भेदभाव, ऊंचनीच अमानवीयता, क्रूरता, प्रताड़ना और अन्य गैरइंसानी व्यवहारों को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से जहां अनेक कदम उठाए गए। वहीं भारतीय पत्र-पत्रिकाओं ने सामाजिक विषमताओं, विशेषकर दलितों पर अत्याचार, भ्रष्टाचार, दुराचार और अन्य बुराइयों के खिलाफ जनजागृति लाने के प्रयास किए। छोटे कस्बों, गांवों और नगरों से निकलने वाले पत्रों ने भी इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किए लेकिन जनमानस में दलितों के प्रति उपेक्षा और अनादर के भाव को खत्म करने की दिशा में अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

आजादी के बाद कानून के खौफ या शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण लोगों की मानसिकता में कुछ बदलाव तो आया है, लेकिन जन्मगत रूढ़ियों और संस्कारों के कारण पूरी तरह से बदलाव नहीं आ सका है। इस दिशा में अभी व्यावहारिक उपायों की दरकार बनी हुई है।

सरकार की उपलब्धियॉं

सरकार की उपलब्धियॉं

मैं उन सभी माननीय सदस्यों का, जो इस नए दशक में भारतीय संसद के निम्न एवं उच्च दोनों सदनों के प्रथम सत्र में आज यहाँ उपस्थित हैं, हार्दिक स्वागत करती हूँ। मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि सदन के सभी सदस्यगण भारत देश को विकास की ओर ले जाने और विश्व पटल पर भारत देश को उचित स्थान दिलवाने के लिए पूर्ण समर्पित भाव से कार्य करेंगे और इस दशक को एक गौरवशाली दशक के रूप में इतिहास में दर्ज करेंगे। चूँकि विकास के इस सफर में आपको आगे चलकर बहुत से विधायी कार्य करने हैं, इसलिए इन कार्यों की सफलता के लिए कार्यों के प्रति आपका पूर्ण ध्यान केंद्रित होना अपेक्षित है।

इस सदन के माध्यम से मैं भारतवर्ष के उन परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करना चाहूँगी, जिन परिवारों ने अभी हाल ही में महराष्ट्र के पुणे में हुए आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया है। अभी भी वामपंथी अतिवादियों की विवेकहीन हिंसा जारी है इस बात की पुष्टि इस बात से होती है कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में जो हमले हुए, उनमें बहुत बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की जान गई है। अतिवादियों के इस प्रकार के कायरतापूर्ण कृत्य हमारे उस संकल्प को सुदृढ़ करते हैं जो कि हमने ऐसी हिंसात्मक गतिविधियों और चुनौतियों का और अच्छे तरीके से सामना करने के लिए लिया है। हमारी सरकार चाहती है कि वामपंथी और अतिवादी हिंसा और आतंक का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्वक बातचीत के माध्यम से अपनी मॉंग और समस्याएं हमें बताएँ। हमारी सरकार नागरिक प्रशासन को सुदृढ़ करने और सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास करने के लिए तमाम योजनाओं का लाभ प्रत्येक तबके तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पंथनिरपेक्षता और बहुलवाद के मूल्यों को संरक्षित और मजबूत करने तथा समाज के सभी वर्गों का न्यायपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से तीव्रगामी विकास सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार को भारत की जनता से स्पष्ट जनादेश प्राप्त हुआ है। अपने पद पर कार्यभार ग्रहण करने के समय से ही हमारी सरकार ने एकचित्त होकर कार्य किया है ताकि हम अपनी पिछली उपलब्धियों के आधार पर और अधिक तीव्र एवं सर्वांगीण विकास के वायदे को पूरा कर सकें।

हमारे वायदों का केंद्र बिन्दु हमेशा से ही आम जनता, आम आदमी रहा है और हमेशा रहेगा। हम अपनी समस्त योजनाओं में आम आदमी के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत हैं। वैश्विक महामंदी के पश्चात उत्पन्न इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट के दुष्प्रभावों से और वर्ष 2009 के मध्य में भारत के अधिकांश भागों में मानसून की विफलता से उत्पन्न संकट से से आम जनता को बचाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही।

हमारी सरकार ने मौजूदा सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाया और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास किया है। हमारी सरकार ने न केवल ​भिन्न-भिन्न राजनीतिक एवं क्षेत्रीय मॉंगों का समाधान खोजा है अपितु भारत की संघीय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य किया है। विश्व समुदाय से इस देश के बेहतर संबंध हों, इसके लिए हमने अपने सुविचारित राष्ट्रीय हितों को मजबूती के साथ आगे भी बढ़ाया है। शासन की विभिन्न संस्थाओं और नागरिकों के बीच भागीदारी बढ़ाकर समाज में एक संवेदनशीलता विकसित की गई है।
UPSSSC Stenographer Series

UPSSSC Stenographer Series

क्या आप UPSSSC, APS, FCI, ASI Steno की तैयारी कर रहे हैं तो यहॉं पर आपको मिलेगी, बहुत ही उपयोगी स्टेनो डिक्टेशन सीरीज।


जी हॉं, इस सीरीज का नाम है — UPSSSC स्टेनोग्राफी। चलिए जान लेते हैं इसके बारे में।

क्या है UPSSSC STENO SERIES ?
UPSSSC, UKSSSC, APS, FCI, ASI STENO के स्किल टेस्ट की तैयारी करने वाले मित्रों की सहायता के लिए जो सीरीज स्टार्ट की गई है उसे नाम दिया गया है — UPSSSC STENO SERIES

इस सीरीज में आपको परीक्षा पैटर्न पर आधारित तैयारी कराई जाती है, जिसमें एक मिनट का ट्रायल और 05 मिनट का श्रुतलेख होता है। आपकी तैयारी बेहतर हो सके, इसलिए श्रुतलेख विभिन्न विषयों पर आधारित होता है।

कौन कौन लाभ ले सकता है ?
इस सीरीज का लाभ हर वह अभ्यर्थी ले सकता है जो 05 मिनट के स्टेनो स्किल परीक्षा की तैयारी कर रहा है। क्योंकि इस सीरीज में हम विविध विषय पर आधारित श्रुतलेख उपलब्ध कराते हैं​ जिसमें 01 मिनट का ट्रायल और पॉंच मिनट का डिक्टेशन होता है।

यदि आप UPSSSC, UKSSSC, APS, FCI, ASI STENO के स्किल टेस्ट की तैयारी कर रहे हैं तो नि:संकोच इस सीरीज का लाभ उठा सकते हैं।

खास बात क्या है ?
आपकी तैयारी बेहतर हो सके इसके लिए इस सीरीज में 80 शब्द प्रति मिनट से लेकर 100 शब्द प्रति मिनट के श्रुतलेख अपलोड किये जाते हैं ताकि यदि आपको 80 शब्द प्रति मिनट की परीक्षा देनी है तो आप उससे अधिक गति के श्रुतलेख का अभ्यास कर सकें।

दूसरी खास बात यह है कि इसका पैटर्न परीक्षा की तरह ही रखा गया है। यदि आप इस सीरीज से अभ्यास करते हैं तो आपको ऐसा ही अनुभव होगा कि आप परीक्षा हॉल में बैठे हैं। यानि हमारी इस सीरीज से आपको हर दिन ऐसा प्रतीत होगा कि आप परीक्षा हॉल में बैठकर आशुलिपि स्किल टेस्ट दे रहे हैं।

संक्षेप में कहा जाए तो आपको ​हर दिन परीक्षा हॉल का अनुभव अपने घर पर मिलता है, वह भी फ्री में।

कैसे लाभ उठाएं ?
यह सीरीज पूरी तरह से फ्री है। इसके लिए आपको किसी प्रकार का चार्ज नहीं देना है। अगर आपके पास इंटरनेट और मोबाइल या कंप्यूटर है तो आप कहीं से भी, कभी भी इसका लाभ उठा सकते हैं। बस डाटा चालू कीजिए, पेन या पेंसिल उठाइए और अभ्यास शुरू कर दीजिए।

आपकी सुविधा के लिए UPSSSC STENO SERIES के समस्त डिक्टेशन यूट्यूब पर शेयर किए गए हैं जिन्हें आप ONLINE या सेव करके अभ्यास कर सकते हैं। या फिर अपने मित्रों के साथ मण्डली में बैठकर परीक्षा की तरह टेस्ट भी दे सकते हैं।

UPSSSC SERIES LINK
यहॉं पर हमने UPSSSC SERIES के श्रुतलेख का प्लेलिस्ट इम्बेड किया है जिसे आप यहीं से या फिर अपनी सुविधानुसार यूट्यूब पर जाकर सुन सकते हैं।


UPSSSC Steno Series 02


प्रथम सीरीज के सफल होने पर हमने द्वितीय सीरीज भी प्रारंभ की है जिसकी प्लेलिस्ट नीचे दी जा रही है। आशा है यह संग्रह आपको पसंद आएगा।


UPSSSC Steno Series 01


अंतिम शब्द
किसी मित्र के सुझाव से ही हमने परीक्षा पैटर्न प्रारंभ किया है। हो सकता है कि आपका सुझाव भी एक बेहतर सीरीज लाने में मदद करे, इसलिए अपने बहुमूल्य सुझाव देने में संकोच न करें। कमेंट्स बॉक्स में जाकर अपने विचार एवं ​​अभिव्यक्ति जरूर व्यक्त करें।
SSC Steno Exam Preparation

SSC Steno Exam Preparation

अब होगी एस.एस.सी. स्टेनो ग्रेड 'सी एवं डी' की पूरी तैयारी, बिल्कुल परीक्षा के पैटर्न पर।

जी हॉं, स्टेनो हेल्पलाइन की ओर से प्रस्तुत है - MISSION SSC STENO सीरीज, जिसमें आपको मिलेगा, एस.एस.सी. स्टेनोग्राफर की तैयारी का एक अभूतपूर्व अनुभव। 

क्या है SSC STENO SERIES ?
SSC STENO TEST SERIES एक छोटी सी पहल है जिसमें आपको कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के पैटर्न पर ही तैयारी करने का अवसर मिलता है। जिस प्रकार से कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आशुलिपिक ग्रेड सी एवं डी की परीक्षा ली जाती है, उसी प्रकार से आपको 01 मिनट के ट्रायल के साथ 10 मिनट का श्रुतलेख इस सीरीज में दिया जाता है ताकि आप परीक्षा से पूर्व ही परीक्षा की अच्छे से तैयारी कर सकें।

कैसे लाभ उठाएं ?
यह सीरीज पूरी तरह से फ्री है। इसके लिए आपको किसी प्रकार का चार्ज नहीं देना है। अगर आपके पास इंटरनेट और मोबाइल या कंप्यूटर है तो आप कहीं से भी, कभी भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

आपकी सहूलियत के लिए एस.एस.सी. स्टेनो सीरीज के समस्त डिक्टेशन यूट्यूब पर शेयर किए गए हैं जिन्हें आप ONLINE या सेव करके अभ्यास कर सकते हैं।

​गति के बारे में
जिस प्रकार से एस.एस.सी. की परीक्षा में 80 एवं 100 शब्द प्र​ति मिनट का श्रुतलेख दिया जाता है उसी प्रकार से इस सीरीज में भी आपको 80 एवं 100 शब्द प्रति मिनट का श्रुतलेख ट्रायल के साथ दिया जाता है। आपकी एवं हमारी सुविधा के लिए इस सीरीज में एक दिन 80 एवं एक दिन 100 शब्द प्रति मिनट का श्रुतलेख दिया जाता है। 

SSC STENO SERIES 1
SSC STENO की तैयारी के लिए SERIES 1 काफी पहले प्रारंभ की गई थी​, जिसमें 30 श्रुतलेख अलग—अलग विषयों पर दिए गए हैं। यह सीरीज काफी सराही गई है एवं कई मित्रों ने इसका लाभ लिया है। आपकी सुविधा के लिए हमने प्रथम सीरीज के समस्त श्रुतलेख को एक प्लेलिस्ट में जोड़कर यहॉं पर इम्बेड किया है। नीचे आप देख सकते हैं।


Mission SSC Steno Series 01


SSC STENO SERIES 2
प्रथम सीरीज की लोकप्रियता एवं आपकी मॉंग के दृष्टिगत हमने द्वितीय सीरीज प्रारंभ की है जो वर्तमान में जारी है। इस सीरीज के श्रुतलेख को भी हमने एक प्लेलिस्ट में जोड़कर यहॉं पर इम्बेड किया है ताकि आपको इन्हें खोजने में परेशानी न हो।


Mission SSC Steno Series 02


अंतिम शब्द 
हमें आशा है कि यह सीरीज आपके अध्ययन में सहायक होंगी। यदि आप कर्मचारी चयन आयोग के आशुलिपि भर्ती की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित ही यह श्रृंखला आपके अभ्यास को एक नई दिशा प्रदान करेगी।

आपके सुझाव से इस श्रृंखला को और बेहतर बनाया जा सकता है। इसलिए आपसे अपेक्षा है कि आप अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें अवश्य अवगत करावें।

अपने सुझाव देने के लिए या कमेंट्स के लिए आप कमेंट्स बॉक्स का सहारा ले सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। 
Shorthand Speed Building Rule

Shorthand Speed Building Rule

इन नियमों से स्टेनो स्पीड न बढ़े ऐसा तो हो ही नहीं सकता। जान लीजिए इन खास नियमों को...


अगर आप आशुलिपि सीख चुके हैं और काफी समय अभ्यास के बाद भी आपकी स्टेनो स्पीड नहीं बढ़ी है तो आपको यह पोस्ट जरूर पढ़ना चाहिए। इसमें आपको मिलेंगे शॉर्टहैण्ड स्पीड बढ़ाने के नियम।


Shorthand Speed Rules Collection


आपकी आशुलिपि गति बढ़ सके इसके लिए हमने कुछ नियम यहॉं पर बताए हैं और इस नियमावली को नाम दिया है — Speedy Stenography

क्या है Speedy Stenography ?
Speedy Stenography एक ऐसी वीडियो सीरीज है जिसमें आपको बहुतायत में प्रयोग होने वाले नियमों की जानकारी दी जाती है ताकि आप छोटे—छोटे शब्दों के संकेत बनाने के बजाय नियमों का प्रयोग कर आसानी से वाक्यांश बनाकर अपनी गति बढ़ा सकें।

क्या फायदा होगा ?
जैसा कि आप जानते हैं आशुलिपि का अर्थ होता है गति के साथ लिखना। और यह तभी संभव होता है जब आप वाक्यांश बनाकर लिखें। हालॉंकि आम तौर पर प्रत्येक शब्द का वाक्यांश बनाना संभव नहीं होता परंतु ज्यादातर शब्दों को वाक्यांश का रूप देने से गति बढ़ जाती है क्योंकि हमें बार—बार पेन/पेंसिल नहीं उठानी होती अपितु सतत् रूप से और निर्वाध गति से लिखते रहना होता है।

क्या होता है वाक्यांश ?
वाक्यांश का अर्थ है किसी वाक्य का छोटा सा अंश। दो या दो से अधिक शब्द जब एक साथ हो जाते हैं तो वह वाक्यांश कहलाते हैं जैसे— आपने कहा कि, वह चला गया, आपके माध्यम से इत्यादि।

वाक्यांश इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर आप एक शब्द के लिए बार—बार अलग संकेत बनाएंगे तो इसमें समय तो लगेगा ही साथ ही आपकी आशुलिपि गति भी कम रह जाएगी। इसलिए हमने यहॉं पर नियम बताए हैं जिनसे आप दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़कर वाक्यांश का रूप दे सकते हैं और अपनी आशुलिपि गति बढ़ा सकते हैं।

कैसे उठाएं लाभ ?
हमने समस्त नियम वीडियो के माध्यम से बताए हैं और वीडियो को यूट्यूब पर शेयर किया है ताकि आप कहीं भी, कभी भी इनको एक्सेस कर सकें। आपकी सुविधा के लिए पोस्ट के प्रारंभ में ही हमने इन नियमों की सीरीज को इस पोस्ट में लिंक किया है ताकि आप आसानी से उन तक पहुॅंच सकें।

तो देर किस बात की, अभी स्टार्ट कीजिए और जानिए आशुलिपि ग​ति बढ़ाने का एक नया तरीका।