मैं उन सभी माननीय सदस्यों का, जो इस नए दशक में भारतीय संसद के निम्न एवं उच्च दोनों सदनों के प्रथम सत्र में आज यहाँ उपस्थित हैं, हार्दिक स्वागत करती हूँ। मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि सदन के सभी सदस्यगण भारत देश को विकास की ओर ले जाने और विश्व पटल पर भारत देश को उचित स्थान दिलवाने के लिए पूर्ण समर्पित भाव से कार्य करेंगे और इस दशक को एक गौरवशाली दशक के रूप में इतिहास में दर्ज करेंगे। चूँकि विकास के इस सफर में आपको आगे चलकर बहुत से विधायी कार्य करने हैं, इसलिए इन कार्यों की सफलता के लिए कार्यों के प्रति आपका पूर्ण ध्यान केंद्रित होना अपेक्षित है।
इस सदन के माध्यम से मैं भारतवर्ष के उन परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करना चाहूँगी, जिन परिवारों ने अभी हाल ही में महराष्ट्र के पुणे में हुए आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया है। अभी भी वामपंथी अतिवादियों की विवेकहीन हिंसा जारी है इस बात की पुष्टि इस बात से होती है कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में जो हमले हुए, उनमें बहुत बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की जान गई है। अतिवादियों के इस प्रकार के कायरतापूर्ण कृत्य हमारे उस संकल्प को सुदृढ़ करते हैं जो कि हमने ऐसी हिंसात्मक गतिविधियों और चुनौतियों का और अच्छे तरीके से सामना करने के लिए लिया है। हमारी सरकार चाहती है कि वामपंथी और अतिवादी हिंसा और आतंक का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्वक बातचीत के माध्यम से अपनी मॉंग और समस्याएं हमें बताएँ। हमारी सरकार नागरिक प्रशासन को सुदृढ़ करने और सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास करने के लिए तमाम योजनाओं का लाभ प्रत्येक तबके तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पंथनिरपेक्षता और बहुलवाद के मूल्यों को संरक्षित और मजबूत करने तथा समाज के सभी वर्गों का न्यायपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से तीव्रगामी विकास सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार को भारत की जनता से स्पष्ट जनादेश प्राप्त हुआ है। अपने पद पर कार्यभार ग्रहण करने के समय से ही हमारी सरकार ने एकचित्त होकर कार्य किया है ताकि हम अपनी पिछली उपलब्धियों के आधार पर और अधिक तीव्र एवं सर्वांगीण विकास के वायदे को पूरा कर सकें।
हमारे वायदों का केंद्र बिन्दु हमेशा से ही आम जनता, आम आदमी रहा है और हमेशा रहेगा। हम अपनी समस्त योजनाओं में आम आदमी के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत हैं। वैश्विक महामंदी के पश्चात उत्पन्न इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट के दुष्प्रभावों से और वर्ष 2009 के मध्य में भारत के अधिकांश भागों में मानसून की विफलता से उत्पन्न संकट से से आम जनता को बचाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही।
हमारी सरकार ने मौजूदा सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाया और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास किया है। हमारी सरकार ने न केवल भिन्न-भिन्न राजनीतिक एवं क्षेत्रीय मॉंगों का समाधान खोजा है अपितु भारत की संघीय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य किया है। विश्व समुदाय से इस देश के बेहतर संबंध हों, इसके लिए हमने अपने सुविचारित राष्ट्रीय हितों को मजबूती के साथ आगे भी बढ़ाया है। शासन की विभिन्न संस्थाओं और नागरिकों के बीच भागीदारी बढ़ाकर समाज में एक संवेदनशीलता विकसित की गई है।